tag:blogger.com,1999:blog-67618347521640130752024-03-05T05:32:32.076-08:00कुछ ख़ास .......mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.comBlogger164125tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-58990401216814028052013-03-02T21:35:00.001-08:002013-03-02T21:37:23.573-08:00सुभाष चन्द्र बोस से जुड़ी हुई हर जानकारी को "राष्ट्र हित" का हवाला देते हुये हमेशा ही दबाया गया है ..<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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सन 1945 मे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की तथाकथित हवाई दुर्घटना या उनके जापानी सरकार के सहयोग से 1945 के बाद सोवियत रूस मे शरण लेने या बाद मे भारत मे उनके होने के बारे मे हमेशा ही सरकार की ओर से गोलमोल जवाब दिया गया है उन से जुड़ी हुई हर जानकारी को "राष्ट्र हित" का हवाला देते हुये हमेशा ही दबाया गया है ... 'मिशन नेताजी' और इस से जुड़े हुये मशहूर पत्रकार श्री अनुज धर ने काफी बार सरकार से अनुरोध किया है कि तथ्यो को सार्वजनिक किया जाये ताकि भारत की जनता भी अपने महान नेता के बारे मे जान सके पर हर बार उन को निराशा ही हाथ आई !<br />
मेरा आप से एक अनुरोध है कि इस मुहिम का हिस्सा जरूर बनें ... भारत के नागरिक के रूप मे अपने देश के इतिहास को जानने का हक़ आपका भी है ... जानिए कैसे और क्यूँ एक महान नेता को चुपचाप गुमनामी के अंधेरे मे चला जाना पड़ा... जानिए कौन कौन था इस साजिश के पीछे ... ऐसे कौन से कारण थे जो इतनी बड़ी साजिश रची गई न केवल नेता जी के खिलाफ बल्कि भारत की जनता के भी खिलाफ ... ऐसे कौन कौन से "राष्ट्र हित" है जिन के कारण हम अपने नेता जी के बारे मे सच नहीं जान पाये आज तक ... जब कि सरकार को सत्य मालूम है ... क्यूँ तथ्यों को सार्वजनिक नहीं किया जाता ... जानिए आखिर क्या है सत्य .... अब जब अदालत ने भी एक समय सीमा देते हुये यह आदेश दिया है कि एक कमेटी द्वारा जल्द से जल्द इस की जांच करवा रिपोर्ट दी जाये तो अब देर किस लिए हो रही है ???<br />
आप सब मित्रो से अनुरोध है कि यहाँ नीचे दिये गए लिंक पर जाएँ और इस मुहिम का हिस्सा बने और अपने मित्रो से भी अनुरोध करें कि वो भी इस जन चेतना का हिस्सा बने !<br />
Set up a multi-disciplinary inquiry to crack Bhagwanji/Netaji mystery<br />
यहाँ ऊपर दिये गए लिंक मे उल्लेख किए गए पेटीशन का हिन्दी अनुवाद दिया जा रहा है :-<br />
सेवा में,अखिलेश यादव, माननीय मुख्यमंत्रीउत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ<br />
प्रिय अखिलेश यादव जी,<br />
इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर, आप भारत के सबसे युवा मुख्यमंत्री इस स्थिति में हैं कि देश के सबसे पुराने और सबसे लंबे समय तक चल रहे राजनीतिक विवाद को व्यवस्थित करने की पहल कर सकें| इसलिए देश के युवा अब बहुत आशा से आपकी तरफ देखते हैं कि आप माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के हाल ही के निर्देश के दृश्य में, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाग्य की इस बड़ी पहेली को सुलझाने में आगे बढ़ेंगे|जबकि आज हर भारतीय ने नेताजी के आसपास के विवाद के बारे में सुना है, बहुत कम लोग जानते हैं कि तीन सबसे मौजूदा सिद्धांतों के संभावित हल वास्तव में उत्तर प्रदेश में केंद्रित है| संक्षेप में, नेताजी के साथ जो भी हुआ उसे समझाने के लिए हमारे सामने आज केवल तीन विकल्प हैं: या तो ताइवान में उनकी मृत्यु हो गई, या रूस या फिर फैजाबाद में | 1985 में जब एक रहस्यमय, अनदेखे संत “भगवनजी” के निधन की सूचना मिली, तब उनकी पहचान के बारे में विवाद फैजाबाद में उभर आया था, और जल्द ही पूरे देश भर की सुर्खियों में प्रमुख्यता से बन गया| यह कहा गया कि यह संत वास्तव में सुभाष चंद्र बोस थे। बाद में, जब स्थानीय पत्रकारिता ने जांच कर इस कोण को सही ठहराया, तब नेताजी की भतीजी ललिता बोस ने एक उचित जांच के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने उस संत के सामान को सुरक्षित रखने का अंतरिम आदेश दिया।<br />
भगवनजी, जो अब गुमनामी बाबा के नाम से बेहतर जाने जाते है, एक पूर्ण वैरागी थे, जो नीमसार, अयोध्या, बस्ती और फैजाबाद में किराए के आवास पर रहते थे। वह दिन के उजाले में कभी एक कदम भी बाहर नहीं रखते थे,और अंदर भी अपने चयनित अनुयायियों के छोड़कर किसी को भी अपना चेहरा नहीं दिखाते थे। प्रारंभिक वर्षों में अधिक बोलते नहीं थे परन्तु उनकी गहरी आवाज और फर्राटेदार अंग्रेजी, बांग्ला और हिंदुस्तानी ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया, जिससे वह बचना चाहते थे। जिन लोगों ने उन्हें देखा उनका कहना है कि भगवनजी बुजुर्ग नेताजी की तरह लगते थे। वह अपने जर्मनी, जापान, लंदन में और यहां तक कि साइबेरियाई कैंप में अपने बिताए समय की बात करते थे जहां वे एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु की एक मनगढ़ंत कहानी "के बाद पहुँचे थे"। भगवनजी से मिलने वाले नियमित आगंतुकों में पूर्व क्रांतिकारी, प्रमुख नेता और आईएनए गुप्त सेवा कर्मी भी शामिल थे।<br />
2005 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थापित जस्टिस एम.के. मुखर्जी आयोग की जांच की रिपोर्ट में पता चला कि सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 1945 में ताइवान में नहीं हुई थी। सूचनाओं के मुताबिक वास्तव में उनके लापता होने के समय में वे सोवियत रूस की ओर बढ़ रहे थे।<br />
31 जनवरी, 2013 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ललिता बोस और उस घर के मालिक जहां भगवनजी फैजाबाद में रुके थे, की संयुक्त याचिका के बाद अपनी सरकार को भगवनजी की पहचान के लिए एक पैनल की नियुक्ति पर विचार करने का निर्देशन दिया।<br />
जैसा कि यह पूरा मुद्दा राजनैतिक है और राज्य की गोपनीयता के दायरे में है, हम नहीं जानते कि गोपनीयता के प्रति जागरूक अधिकारियों द्वारा अदालत के फैसले के जवाब में कार्यवाही करने के लिए किस तरह आपको सूचित किया जाएगा। इस मामले में आपके समक्ष निर्णय किये जाने के लिए निम्नलिखित मोर्चों पर सवाल उठाया जा सकता है:<br />
1. फैजाबाद डीएम कार्यालय में उपलब्ध 1985 पुलिस जांच रिपोर्ट के अनुसार भगवनजी नेताजी प्रतीत नहीं होते।<br />
2. मुखर्जी आयोग की खोज के मुताबिक भगवनजी नेताजी नहीं थे।<br />
3. भगवनजी के दातों का डीएनए नेताजी के परिवार के सदस्यों से प्राप्त डीएनए के साथ मेल नहीं खाता।<br />
वास्तव मे, फैजाबाद एसएसपी पुलिस ने जांच में यह निष्कर्ष निकाला था, कि “जांच के बाद यह नहीं पता चला कि मृतक व्यक्ति कौन थे" जिसका सीधा अर्थ निकलता है कि पुलिस को भगवनजी की पहचान के बारे में कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला।<br />
हम इस तथ्य पर भी आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं कि न्यायमूर्ति मुखर्जी आयोग की जांच की रिपोर्ट से यह निष्कर्ष निकला है कि "किसी भी ठोस सबूत के अभाव में यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि भगवनजी नेताजी थे"। दूसरे शब्दों में, आयोग ने स्वीकार किया कि नेताजी को भगवनजी से जोड़ने के सबूत थे, लेकिन ठोस नहीं थे।<br />
आयोग को ठोस सबूत न मिलने का कारण यह है कि फैजाबाद से पाए गए भगवनजी के तथाकथित सात दातों का डी एन ए, नेताजी के परिवार के सदस्यों द्वारा उपलब्ध कराए गए रक्त के नमूनों के साथ मैच नहीं करता था। यह परिक्षण केन्द्रीय सरकार प्रयोगशालाओं में किए गए और आयोग की रिपोर्ट में केन्द्र सरकार के बारे मे अच्छा नहीं लिखा गया। बल्कि, यह माना जाता है कि इस मामले में एक फोरेंसिक धोखाधडी हुई थी।महोदय, आपको एक उदाहरण देना चाहेंगे कि बंगाली अखबार "आनंदबाजार पत्रिका" ने दिसंबर 2003 में एक रिपोर्ट प्रकाशित कि कि भगवनजी ग्रहण दांत पर डीएनए परीक्षण नकारात्मक था। बाद में, "आनंदबाजार पत्रिका", जो शुरू से ताइवान एयर क्रेश थिओरी का पक्षधर रहा है, ने भारतीय प्रेस परिषद के समक्ष स्वीकार किया कि यह खबर एक "स्कूप" के आधार पर की गयी थी। लेकिन समस्या यह है कि दिसंबर 2003 में डीएनए परीक्षण भी ठीक से शुरू नहीं किया गया था। अन्य कारकों को ध्यान में ले कर यह एक आसानी से परिणाम निकलता है कि यह "स्कूप" पूर्वनिर्धारित था।<br />
जाहिर है, भारतीय सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश, एम.के. मुखर्जी ऐसी चालों के बारे में जानते थे और यही कारण है कि 2010 में सरकार के विशेषज्ञों द्वारा आयोजित डी एन ए और लिखावट के परिक्षण के निष्कर्षों की अनदेखी करके,उन्होंने एक बयान दिया था कि उन्हें "शत प्रतिशत यकीन है" कि भगवनजी वास्तव में नेताजी थे।यहाँ यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि सर्वोच्च हस्तलेख विशेषज्ञ श्री बी लाल कपूर ने साबित किया था कि भगवनजी की अंग्रेजी और बंगला लिखावट नेताजी की लिखावट से मेल खाती है।<br />
भगवनजी कहा करते थे की कुछ साल एक साइबेरियाई केंप में बिताने के बाद 1949 में उन्होंने सोवियत रूस छोड़ दिया और उसके बाद गुप्त ऑपरेशनो में लगी हुई विश्व शक्तियों का मुकाबला करने में लगे रहे। उन्हें डर था कि यदि वह खुले में आयेंगे तो विश्व शक्तियां उनके पीछे पड़ जायेंगीं और भारतीय लोगो पर इसके दुष्प्रभाव पड़ेंगे। उन्होंने कहा था कि “मेरा बाहर आना भारत के हित में नहीं है”। उनकी धारणा थी कि भारतीय नेतृत्व के सहापराध के साथ उन्हें युद्ध अपराधी घोषित किया गया था और मित्र शक्तियां उन्हें उनकी 1949 की गतिविधियों के कारण अपना सबसे बड़ा शत्रु समझती थी।<br />
भगवनजी ने यह भी दावा किया था कि जिस दिन 1947 में सत्ता के हस्तांतरण से संबंधित दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जाएगा, उस दिन भारतीय जान जायेंगे कि उन्हें गुमनाम/छिपने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा।<br />
खासा दिलचस्प है कि , दिसम्बर 2012 में विदेश और राष्ट्रमंडल कार्यालय, लंदन, ने हम में से एक को बताया कि वह सत्ता हस्तांतरण के विषय में एक फ़ाइल रोके हुए है जो "धारा 27 (1) (क) सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम (अंतरराष्ट्रीय संबंधों) के तहत संवेदनशील बनी हुई है और इसका प्रकाशन संबंधित देशों के साथ हमारे संबंधों में समझौता कर सकता है" ।<br />
महोदय, इस सारे विवरण का उद्देश्य सिर्फ इस मामले की संवेदनशीलता को आपके प्रकाश में लाना है। यह बात वैसी नहीं है जैसी कि पहली नजर में लगती है। इस याचिका के हस्ताक्षरकर्ता चाहते है कि सच्चाई को बाहर आना चाहिए। हमें पता होना चाहिए कि भगवनजी कौन थे। वह नेताजी थे या कोई "ठग" जैसा कि कुछ लोगों ने आरोप लगाया है? क्या वह वास्तव में 1955 में भारत आने से पहले रूस और चीन में थे, या नेताजी को रूस में ही मार दिया गया था जैसा कि बहुत लोगों का कहना है।<br />
माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह और न्यायमूर्ति वीरेन्द्र कुमार दीक्षित, भगवनजी के तथ्यों के विषय में एक पूरी तरह से जांच के सुझाव से काफी प्रभावित है। इसलिए हमारा आपसे अनुरोध है कि आप अपने प्रशासन को अदालत के निर्णय का पालन करने हेतू आदेश दें। आपकी सरकार उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेषज्ञों और उच्च अधिकारियों की एक टीम को मिलाकर एक समिति की नियुक्ति करे जो गुमनामी बाबा उर्फ भगवनजी की पहचान के सम्बन्ध में जांच करे।<br />
यह भी अनुरोध है कि आपकी सरकार द्वारा संस्थापित जांच -<br />
1. बहु - अनुशासनात्मक होनी चाहिए, जिससे इसे देश के किसी भी कोने से किसी भी व्यक्ति को शपथ लेकर सूचना देने को वाध्य करने का अधिकार हो । और यह और किसी भी राज्य या केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से सरकारी रिकॉर्ड की मांग कर सके।<br />
2. सेवानिवृत्त पुलिस, आईबी, रॉ और राज्य खुफिया अधिकारी इसके सदस्य हो। सभी सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों, विशेष रूप से उन लोगों को, जो खुफिया विभाग से सम्बंधित है,उत्तर प्रदेश सरकार को गोपनीयता की शपथ से छूट दे ताकि वे स्वतंत्र रूप से सर्वोच्च राष्ट्रीय हितों के लिए अपदस्थ हो सकें।<br />
3. इसके सदस्यों में नागरिक समाज के प्रतिनिधि और प्रख्यात पत्रकार हो ताकि पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित किया जा सके। ये जांच 6 महीने में खत्म की जानी चाहिए।<br />
4. केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा आयोजित नेताजी और भगवनजी के बारे में सभी गुप्त रिकॉर्ड मंगवाए जाने पर विचार करें। खुफिया एजेंसियों के रिकॉर्ड को भी शामिल करना चाहिए। उत्तर प्रदेश कार्यालयों में खुफिया ब्यूरो के पूर्ण रिकॉर्ड मंगावाये जाने चाहिए और किसी भी परिस्थिति में आईबी स्थानीय कार्यालयों को कागज का एक भी टुकड़ा नष्ट करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।<br />
5.सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भगवनजी की लिखावट और अन्य फोरेंसिक सामग्री को किसी प्रतिष्ठित अमेरिकन या ब्रिटिश प्रयोगशाला में भेजा जाये.<br />
हमें पूरी उम्मीद है कि आप, मुख्यमंत्री और युवा नेता के तौर पर दुनिया भर में हम नेताजी के प्रसंशकों की इस इच्छा को अवश्य पूरा करेंगे |<br />
सादरआपका भवदीयअनुज धरलेखक "India's biggest cover-up"<br />
चन्द्रचूर घोषप्रमुख - www.subhaschandrabose.org और नेताजी के ऊपर आने वाली एक पुस्तक के लेखक<br />
Thanks & Regards<br />
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mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-24990899768965943572013-02-06T06:17:00.001-08:002013-02-06T06:17:29.424-08:00जिज्ञासा: लोकपाल विधेयक<a href="http://jiwanjigyasa.blogspot.com/2013/02/blog-post_6859.html?spref=bl">जिज्ञासा: लोकपाल विधेयक</a>: सीबीआइ के निदेशक की नियुक्ति सरकार नहीं बल्कि एक कोलेजियम यानी समिति करेगी, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेत...mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-28834534555849204312013-02-06T00:02:00.001-08:002013-02-06T00:02:20.667-08:00facts and opinion.....: Read the following passage and answer the items t...<a href="http://markandey1.blogspot.com/2013/02/read-following-passage-and-answer-items.html?spref=bl">facts and opinion.....: Read the following passage and answer the items t...</a>: Read the following passage and answer the items that follow passage. Your answers to these items should be based on the passages only. ...mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-14506445980939960552013-01-23T08:32:00.001-08:002013-01-23T08:32:07.088-08:00जिज्ञासा: जस्टिस वर्मा कमिटी<a href="http://jiwanjigyasa.blogspot.com/2013/01/blog-post_23.html?spref=bl">जिज्ञासा: जस्टिस वर्मा कमिटी</a>: जस्टिस वर्मा कमिटी ने रेप और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अन्य अपराधों के लिए कानून के प्रावधान सख्त करने की जरूरत बताई है. अपराध कानून की कमी...mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-76475112593857421102013-01-23T08:31:00.001-08:002013-01-23T08:31:54.256-08:00जिज्ञासा: जस्टिस वर्मा कमिटी<a href="http://jiwanjigyasa.blogspot.com/2013/01/blog-post_23.html?spref=bl">जिज्ञासा: जस्टिस वर्मा कमिटी</a>: जस्टिस वर्मा कमिटी ने रेप और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अन्य अपराधों के लिए कानून के प्रावधान 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...mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-21915107718495309962012-09-26T10:11:00.001-07:002012-09-26T10:11:31.052-07:00जिज्ञासा(JIGYASA) : ईश्वर चंद्र विद्यासागर<a href="http://jiwanjigyasa.blogspot.com/2012/09/blog-post_9818.html?spref=bl">जिज्ञासा(JIGYASA) : ईश्वर चंद्र विद्यासागर</a>: ईश्वर चंद्र विद्यासागर के अनवरत प्रचार का ही नतीजा था कि विधवा पुनर्विवाह कानून, 1856 आखिरकार पारित हो सका।विद्यासागर का मानना था कि अंग्रेज...mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-52793854759084119782012-09-26T01:46:00.001-07:002012-09-26T01:46:58.113-07:00जिज्ञासा(JIGYASA) : डॉ. भगवान दास<a href="http://jiwanjigyasa.blogspot.com/2012/09/blog-post_1593.html?spref=bl">जिज्ञासा(JIGYASA) : डॉ. भगवान दास</a>: डॉ. भगवान दास ने 'काशी हिन्दू विद्यापीठ' की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया और 'सैंट्रल हिन्दू कॉलेज' का उसमें विलय कर दिया। डॉ. भगवान...mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-30457219450337215692012-09-21T02:10:00.001-07:002012-09-21T02:10:02.477-07:00जिज्ञासा(JIGYASA) : चौथी शताब्दी के इस दस्तावेज में ईसा मसीह की पत्नी ...<a href="http://jiwanjigyasa.blogspot.com/2012/09/blog-post_3617.html?spref=bl">जिज्ञासा(JIGYASA) : चौथी शताब्दी के इस दस्तावेज में ईसा मसीह की पत्नी ...</a>: चौथी शताब्दी के इस दस्तावेज में ईसा मसीह की पत्नी का जिक्र होने का दावा किया गया है.ये भोजपत्र कूड़े के एक ढेर में मिला था. शोधकर्ताओं ने इन...mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-46913172975562600642012-09-14T01:06:00.001-07:002012-09-14T01:06:11.168-07:00जिज्ञासा(JIGYASA) : ओंकारेश्वर बांध<a href="http://jiwanjigyasa.blogspot.com/2012/09/blog-post_622.html?spref=bl">जिज्ञासा(JIGYASA) : ओंकारेश्वर बांध</a>: मध्यप्रदेश में ओंकारेश्वर बांध के विस्थापितों के जल सत्याग्रह को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें जमीन के...mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-55571859533489200652012-09-09T23:02:00.001-07:002012-09-09T23:02:18.707-07:00जिज्ञासा(JIGYASA) : मार्कण्डेय पुराण<a href="http://jiwanjigyasa.blogspot.com/2012/09/blog-post_877.html?spref=bl">जिज्ञासा(JIGYASA) : मार्कण्डेय पुराण</a>: मार्कण्डेय पुराण दुर्गा चरित्र एवं दुर्गा सप्तशती के वर्णन के लिए प्रसिद्ध है। इसे शाक्त सम्प्रदाय का पुराण कहा जाता है. आयुर्वेद के सिद्धा...mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-70312145861973638012012-09-09T04:34:00.001-07:002012-09-09T04:34:35.239-07:00जिज्ञासा(JIGYASA) : साफ पानी और स्वच्छता<a href="http://jiwanjigyasa.blogspot.com/2012/09/blog-post_3348.html?spref=bl">जिज्ञासा(JIGYASA) : साफ पानी और स्वच्छता</a>: चेन्नई में शहरी जमीन के पानी के पुर्नभरण ने 1988 से 2002 के बीच जमीन के पानी का स्तर चार मीटर बढ़ा दिया.गांवों से शहरी इलाकों की तरफ पानी...mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-86083937398125061382012-09-08T00:00:00.001-07:002012-09-08T00:00:18.182-07:00जिज्ञासा(JIGYASA) : शिव मूल रूप से एक आदिवासी देवता थे...<a href="http://jiwanjigyasa.blogspot.com/2012/09/blog-post_4450.html?spref=bl">जिज्ञासा(JIGYASA) : शिव मूल रूप से एक आदिवासी देवता थे...</a>: हिंदुओं के देव भगवान शिव भी मूल रूप से एक आदिवासी देवता थे लेकिन आर्यों ने भी उन्हें देवता के रूप मे स्वीकार कर लिया.रामायण के रचयिता महर्षि...mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-31179902994382373712012-09-07T22:33:00.001-07:002012-09-07T22:33:25.844-07:00जिज्ञासा(JIGYASA) : 'सुधारक' को गोखले ने अपनी लड़ाई का माध्यम बनाया.<a 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'सर्वेन्ट ऑफ़ सोसायटी' की स्थापना गोखले द्वारा किया गया महत्त्वपूर्ण कार्य था. उनका मानना थ...mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-81557816411591373972012-09-07T00:52:00.001-07:002012-09-07T00:52:08.515-07:00जिज्ञासा(JIGYASA) : सुभद्रा कुमारी चौहान की पहली कविता प्रयाग से निकल...<a href="http://jiwanjigyasa.blogspot.com/2012/09/blog-post_3764.html?spref=bl">जिज्ञासा(JIGYASA) : सुभद्रा कुमारी चौहान की पहली कविता प्रयाग से निकल...</a>: 1913 में नौ वर्ष की आयु में सुभद्रा कुमारी चौहान की पहली कविता प्रयाग से निकलने वाली पत्रिका 'मर्यादा' में प्रकाशित हुई थी। यह कविता ‘नीम...mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-32360343248241369362012-09-07T00:33:00.001-07:002012-09-07T00:33:46.987-07:00जिज्ञासा(JIGYASA) : 'बाघा जतीन'<a href="http://jiwanjigyasa.blogspot.com/2012/09/blog-post_7.html?spref=bl">जिज्ञासा(JIGYASA) : 'बाघा जतीन'</a>: जतीन्द्रनाथ मुखर्जी के बचपन का नाम 'जतीन्द्रनाथ मुखोपाध्याय' था। अपनी बहादुरी से एक बाघ को मार देने के कारण ये 'बाघा जतीन' के नाम से भी प्र...mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6761834752164013075.post-79233015944212285322012-09-05T05:18:00.003-07:002012-09-05T05:18:46.650-07:00विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरुआत 1950 से हुई.1948 में सात अप्रैल को ही डब्ल्यूएचओ की स्थापना हुई थी। उसी साल डब्ल्यूएचओ की पहली विश्व स्वास्थ्य सभा हुई, जिसमें सात अप्रैल से हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने का फैसला लिया गया।विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरुआत 1950 से हुई।mark raihttp://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com0