Monday, May 11, 2009

लेखन का आनंद

लेखन का आनंद ही अलग है । यहाँ दूसरों पर बहुत कम निर्भरता है । यहाँ बाजार कम, रचनाकार ज्यादा तय करता है । बाजार और लेखन में कोई सामंजस्य नही हो सकता ....अगर बिठाने की कोशिश की गई तो लेखन का विकृत रूप देखने को मिलेगा ।
लेखन तो प्रकृति के काफी निकट है । बाजार में नही मिल सकता । यह तो प्रकृति के गोद में ही मिलेगा ।
लेखन में आजादी है ...सोचने की , कुछ अलग करने की और कुछ नया लिखने की । निश्चित रूप से अपने आप को पहचानने की संभावना भी यही छुपी हुई है ।
मन में आता है किसी पर्वत की चोटी पर बैठ कर दुनिया भर के अनोखे लोगों के लिए कुछ लिखूं । आजादी और रचनात्मकता को गले लगाऊं । बर्फ , झरने और नदियों को ई मेल कर नेचर के निकट जाऊं ।
अभी तो बहुत अनुभव लेने है । लेखन का दशमलव भी नही जानता । पर्वत की चोटी पर जाना तो दूर की बात है । भरोशा है ...चोटी पर न सही कुछ आगे तो जरुर जाऊँगा ।

Wednesday, May 6, 2009

मत्स्य पुराण में लिंग पूजा का उल्लेख मिलता है ......

अरबों ने अंक पद्धति भार्वासियों से सिखा ।
मत्स्य पुराण में लिंग पूजा का उल्लेख मिलता है ।
कालिदास शिवोपासक थे ।
भारवि ने अपने महाकाव्य किरातार्जुनीय में अर्जुन और शिव के बिच युद्ध का वर्णन किया है ।
वाकातक शासक प्रवार्शें द्वितीय को सेतुबंध नामक कृति का रचयिता माना जाता है ।
कनिष्क के दरबार में पार्श्व ,वसुमित्र और अश्वघोष जैसे विद्वान् थे ।
मेगास्थनीज के अनुसार मौर्य काल में बिक्री कर नही देने वाले को मृत्यु दंड मिलता था ।
बौध धर्म के अनुसार महापरिनिर्वान मृत्यु के बाद ही संभव है ।

Friday, May 1, 2009

विटामिन सी और विटामिन डी

स्कर्वी रोग विटामिन-c की हीनता से होता है ।
इस विटामिन को एस्कोर्बिक अम्ल कहते है ।
मसूडों में खून आना , पेशियों तथा जोडो में दर्द के साथ दुर्बलता इसके प्रमुख लक्षण है ।
शारीरिक भार में कमी हो जाती है और घाव भी जल्द नही भरता है ।
निम्बू , संतरा ,अनन्नास , अंगूर ,पालक हरी मिर्च में विटामिन-c के प्रमुख स्रोत है ।
विटामिन-c की गोली के सेवन से भी स्कर्वी पर काबू पाया जा सकता है


विटामिन डी की कमी से रिकेट्स नामक रोग होता है ।
हमारी त्वचा में विटामिन डी का संश्लेषण सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होता है ।
विटामिन डी के अभाव में कैल्सियम आयन की मूत्र के साथ अत्यधिक हानि होती है ।
विटामिन डी की कमी से बच्चों में रिकेट्स तथा बड़ों में ओस्तियोमालेसिया नामक बिमारी होती है ।
रिकेट्स को सुखा रोग भी कहते है ।
बच्चों की टाँगे धनुष के आकार की हो जाती है । पसलियों के आकार में परिवर्तन के कारण बच्चों का वक्ष कबुतर्नुमा हो जाता है ।
काड लीवर तेल , मछली , दूध , अंडे की जर्दी प्रमुख स्रोत है ।