Tuesday, April 24, 2012

वातावरण

हमारे चारों ओर की हवा, वस्तुएं और हमारा समाज जिसमें हम रहते हैं वातावरण का अभिन्न अंग हैं । ये हमारे जीवन के ढंग को पारिभाषित करने में अपनी अहम भूमिका निभाता है ....
प्रकृति से लडता हुआ मनुष्‍य बहुत ही विकसित अवस्‍था तक पहुंच चुका है , पर लोगों के जीवन स्‍तर के मध्‍य का फासला जितना बढता जा रहा है , भाग्‍य की भूमिका उतनी अहम् होती जा रही है....
हमारे समाज का वातावरण इतना दूषित हो गया है की, प्रत्येक व्यक्ति की सोच में नकारात्मक बातों ने डेरा जमा लिया है. शायद वह इस भ्रष्ट व्यवस्था से कुंठित हो चुका है .यही कारण है हम प्रत्येक व्यक्ति को सिर्फ संदेह की द्रष्टि से ही देखते हैं,जिसका भरपूर लाभ हमारे राजनेता उठाते हैं.वे अपने भ्रष्ट कारनामों को बड़ी सफाई से झुठला कर अपने विरोधियों को जनता की नजरों में भ्रष्ट एवं अपराधी सिद्ध करने में कामयाब हो जाते हैं.जनता उनके बहकावे में आकर क्रांति कारी व्यक्तियों के विरुद्ध अपनी सोच बना लेती है और नेताओं के काले कारनामों को भूल जाती है..जनता के लिए यह सोचना मुश्किल हो गया है की आज के भ्रष्ट युग में भी कोई इमानदार हो सकता है, कोई देश भक्त भी हो सकता है, जो देश के लिए निःस्वार्थ होकर संघर्ष कर सकता है....

नेशनल ओशियानिक एंड एटमोसफेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेतृत्व में काम कर रही अंतरराष्ट्रीय टीम वातावरण में हाइड्रॉक्सिल रेडिकल के स्तर की गणना की। यह वातावरण के रासायनकि संतुलन में अहम भूमिका निभाता है।
वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि सालाना आधार पर हाइड्रॉक्सिल के स्तर में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। इससे पहले कुछ अध्ययनों में कहा गया था कि इसके स्तर में 25 फीसदी तक का फर्क पड़ा है। लेकिन नया अध्ययन इस बात को खारिज करता है।

एनओएए के ग्लोबल मॉनिटरिंग विभाग में काम करने वाले मुख्य रिसर्चर स्टीफन मोंटत्सका बताते हैं, 'हाइड्रॉक्सिल के स्तर की नई गणना से वैज्ञानिकों को पता चला है कि वातावरण की खुद को साफ करने की क्षमता कितनी है। अब हम कह सकते हैं कि प्रदूषकों से छुटकारा पाने की वातावरण की क्षमता अब भी बनी हुई है। अब तक हम इस बात को तसल्ली से नहीं कह पा रहे थे।'

प्रकृति के इस रम्य वातावरण को देख मन आह्लादित हो उठता है। जो प्रसन्नता मन को भोरकालीन वातावरण में मिलती है, वह अवर्णनीय है। सुबह पंक्षियों का कलरव, मंद गति से बहती शीतल हवा, बयार में शांत पेड़ पौधे अपने अप्रितम सौंदर्य का दर्शन देते हैं, दैनिक जीवन की शुरूआत से पहले बिल्कुल शांत और निर्वाण रूप होता है सुबह का।

पौधे अपने निर्विकार रूप में खडे होते हैं, पेड़ पौधों में जान होती है परंतु वे स्व से अपने पत्तियों को खड़का नहीं सकते, वे तो प्रकृति प्रदत्त वातावरण पर आश्रित होते हैं। भोर में पेड़ पौधों पर पड़ी ओस, मोती सा आभास देती है, और जलप्लवित पत्तियों से ऊर्जा संचारित होती है, वह ऊर्जा लेकर हम अपने जीवन की शुरूआत करते हैं।

डायबिटीज रोगियों पर वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है। आइए जानें डायबिटीज रोगियों को वातावरण कैसे प्रभावित करता है।

वातावरण कई तरह का हो सकता है। चाहे घर का माहौल हो, कार्यालय का माहौल हो। आसपास के लोगों का माहौल हो या फिर किस जगह पर कैसे आप जाते हैं इन सबका डायबिटिक के स्‍वास्‍थ्‍य पर बहुत असर पड़ता है।
धूम्रपान और नशीले पदार्थ- मान लीजिए कोई डायबिटिक मरीज ऐसे लोगों के साथ रहता है जो धूम्रपान बहुत करते हैं, इतना ही नहीं एल्‍‍कोहल और नशीले पदार्थों का सेवन भी करते हैं तो निश्चित रूप से डायबिटीज के रोगी पर इसका नकारात्म‍क असर पड़ेगा क्योंकि डायबिटीज मरीज ना सिर्फ इन चीजों का आदी हो सकता है बल्कि धूम्रपान का धुआं भी डायबिटीज मरीज को हृदय जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकता है। अगर ये कहें कि डायबिटीज मरीज पर धूम्रपान का असर बुरा पड़ता है तो यह कहना गलत ना होगा।
जगह- यदि डायबिटीज मरीज किसी कारखाने में काम करता है या फिर ऐसी जगह काम करता है जहां केमिकल इत्यादि का काम होता है या फिर जहां बहुत अधिक गंदगी है तो इसका असर डायबिटीज मरीज को और अधिक बीमार बना सकता है और डायबिटीज रोगी को कई और बीमारियां या संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है.
प्रदूषण- प्रदूषण का डायबिटीज मरीज के स्‍वास्‍थ्‍य पर बहुत असर पड़ता है। अगर डायबिटीक पेशेंट प्रदूषण वाले स्थान पर रहता है तो डायबिटीज मरीज को सांस संबंधी बीमारियां होने की आंशका रहती है। इतना ही नहीं प्रदूषण के कारण डायबिटीज से होने वाली समस्याएं बढ़ जाती हैं है। यह बात शोधों में भी साबित हो चुकी है।