Wednesday, September 26, 2012

जिज्ञासा(JIGYASA) : ईश्वर चंद्र विद्यासागर

जिज्ञासा(JIGYASA) : ईश्वर चंद्र विद्यासागर: ईश्वर चंद्र विद्यासागर के अनवरत प्रचार का ही नतीजा था कि विधवा पुनर्विवाह कानून, 1856 आखिरकार पारित हो सका।विद्यासागर का मानना था कि अंग्रेज...

जिज्ञासा(JIGYASA) : डॉ. भगवान दास

जिज्ञासा(JIGYASA) : डॉ. भगवान दास: डॉ. भगवान दास ने 'काशी हिन्दू विद्यापीठ' की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया और 'सैंट्रल हिन्दू कॉलेज' का उसमें विलय कर दिया। डॉ. भगवान...

Friday, September 21, 2012

जिज्ञासा(JIGYASA) : चौथी शताब्दी के इस दस्तावेज में ईसा मसीह की पत्नी ...

जिज्ञासा(JIGYASA) : चौथी शताब्दी के इस दस्तावेज में ईसा मसीह की पत्नी ...: चौथी शताब्दी के इस दस्तावेज में ईसा मसीह की पत्नी का जिक्र होने का दावा किया गया है.ये भोजपत्र कूड़े के एक ढेर में मिला था. शोधकर्ताओं ने इन...

Friday, September 14, 2012

जिज्ञासा(JIGYASA) : ओंकारेश्वर बांध

जिज्ञासा(JIGYASA) : ओंकारेश्वर बांध: मध्यप्रदेश में ओंकारेश्वर बांध के विस्थापितों के जल सत्याग्रह को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें जमीन के...

Sunday, September 9, 2012

जिज्ञासा(JIGYASA) : मार्कण्डेय पुराण

जिज्ञासा(JIGYASA) : मार्कण्डेय पुराण: मार्कण्डेय पुराण दुर्गा चरित्र एवं दुर्गा सप्तशती के वर्णन के लिए प्रसिद्ध है। इसे शाक्त सम्प्रदाय का पुराण कहा जाता है. आयुर्वेद के सिद्धा...

जिज्ञासा(JIGYASA) : साफ पानी और स्‍वच्‍छता

जिज्ञासा(JIGYASA) : साफ पानी और स्‍वच्‍छता: चेन्‍नई में शहरी जमीन के पानी के पुर्नभरण ने 1988 से 2002 के बीच जमीन के पानी का स्‍तर चार मीटर बढ़ा दिया.गांवों से शहरी इलाकों की तरफ पानी...

Saturday, September 8, 2012

जिज्ञासा(JIGYASA) : शिव मूल रूप से एक आदिवासी देवता थे...

जिज्ञासा(JIGYASA) : शिव मूल रूप से एक आदिवासी देवता थे...: हिंदुओं के देव भगवान शिव भी मूल रूप से एक आदिवासी देवता थे लेकिन आर्यों ने भी उन्हें देवता के रूप मे स्वीकार कर लिया.रामायण के रचयिता महर्षि...

Friday, September 7, 2012

जिज्ञासा(JIGYASA) : 'सुधारक' को गोखले ने अपनी लड़ाई का माध्यम बनाया.

जिज्ञासा(JIGYASA) : 'सुधारक' को गोखले ने अपनी लड़ाई का माध्यम बनाया.: 'सुधारक' को गोखले ने अपनी लड़ाई का माध्यम बनाया. 'सर्वेन्ट ऑफ़ सोसायटी' की स्थापना गोखले द्वारा किया गया महत्त्वपूर्ण कार्य था. उनका मानना थ...

जिज्ञासा(JIGYASA) : सुभद्रा कुमारी चौहान की पहली कविता प्रयाग से निकल...

जिज्ञासा(JIGYASA) : सुभद्रा कुमारी चौहान की पहली कविता प्रयाग से निकल...: 1913 में नौ वर्ष की आयु में सुभद्रा कुमारी चौहान की पहली कविता प्रयाग से निकलने वाली पत्रिका 'मर्यादा' में प्रकाशित हुई थी। यह कविता ‘नीम...

जिज्ञासा(JIGYASA) : 'बाघा जतीन'

जिज्ञासा(JIGYASA) : 'बाघा जतीन': जतीन्द्रनाथ मुखर्जी के बचपन का नाम 'जतीन्द्रनाथ मुखोपाध्याय' था। अपनी बहादुरी से एक बाघ को मार देने के कारण ये 'बाघा जतीन' के नाम से भी प्र...

Wednesday, September 5, 2012

विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरुआत 1950 से हुई.

1948 में सात अप्रैल को ही डब्ल्यूएचओ की स्थापना हुई थी। उसी साल डब्ल्यूएचओ की पहली विश्व स्वास्थ्य सभा हुई, जिसमें सात अप्रैल से हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने का फैसला लिया गया।विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरुआत 1950 से हुई।

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस

1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों ने एक प्रस्ताव द्वारा 7 अप्रैल 1988 से विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाने का फ़ैसला किया था। इसके बाद साल 1988 में हर साल की 31 मई को तम्बाकू निषेध दिवस मनाने का फ़ैसला किया गया और तभी से 31 मई को तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाने लगा.

Sunday, September 2, 2012

डॉ. सरोज कुमार मिश्र

इतनी डिग्रियां सफलता की कहानी खुद ब खुद कहती हैं। शायद इसलिए वर्ष 1980 में टाटा स्टील से बतौर अप्रेंटिस करियर शुरू करने वाले डॉ. सरोज कुमार मिश्र इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में सहायक क्षेत्रीय निदेशक के पद तक पहुंच सके हैं। वर्ष 1979 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद डॉ. मिश्रा को टाटा स्टील में अप्रेंटिस के रूप में नौकरी मिली। वर्ष 1992 में समाज शास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्हें टाटा स्टील में कर्मचारी शिक्षक बना दिया गया। वर्ष 2000 में डॉ. मिश्रा ने टाटा स्टील से त्यागपत्र दिया। वर्ष 2001 में उन्होंने रांची विश्वविद्यालय से 'समाज कल्याण एवं सामुदायिक विकास में टाटा स्टील का योगदान' विषय पर पीएचडी की। दिसंबर 2002 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा में सफल रहे। वर्ष 2004 में झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा में सफलता हासिल कर वह प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षक बने। वर्ष 2005 में उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ कर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देना शुरू किया। वर्ष 2005 में वह जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में बीएड विभाग के अध्यक्ष बने। इसी वर्ष इग्नू के पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन हायर एजूकेशन कोर्स में सर्वाधिक अंक हासिल करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की ओर से उन्हें स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। वर्ष 2009 में उनकी प्रोन्नति एमएड में कर दी गई। वर्ष 2012 से वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से स्थापित गांधी स्टडी सेंटर में अध्ययनरत छात्राओं के एमफिल की कक्षा का संचालन कर रहे थे। सन 1979 से 2012 के बीच डॉ. मिश्रा ने पांच विषयों में स्पेशलाइजेशन हासिल किया। लगातार 33 साल अध्ययन करते हुए उन्होंने अलग-अलग पाठ्यक्रमों में 19 डिग्रियां हासिल की। तीन शोध प्रबंधन तथा 100 से अधिक शोध पत्र का निदेशन किया। वर्ष 2009 में विवि अनुदान आयोग की ओर से दिए गये माइनर रिसर्च प्रोजेक्ट पर कार्य किया। पांच राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में हिस्सा लिया। फरवरी 2011 में संचालित की गई इग्नू की नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होते समय शायद उन्हें भी यह यकीन न रहा हो कि परीक्षा के एक साल बाद जारी परिणाम में वह सहायक क्षेत्रीय निदेशक बन जाएंगे। नई नियुक्ति का पत्र मिलने के बाद डॉ. मिश्रा ने शनिवार को जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज से अपना त्यागपत्र दे दिया।