Wednesday, February 16, 2011

किशनगढ़ शैली

किशनगढ़ का सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक सावंतसिंह था , जिसने किशनगढ़ शैली के विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया ।
किशनगढ़ एक छोटी सी रियासत थी , जो अजमेर और आमेर के बिच अवस्थित थी ।
सावंत सिंह का उपनाम नागरीदास था ।
उसने राधा कृष्ण की अराधना के लिए भक्ति संगीत की रचना की ।
किशनगढ़ की सबसे उत्कृष्ट कृति बनी ठानी है ,जिसके चित्रकार निहाल चंद है ।
निहाल चंद को नागरीदास का संरक्षण प्राप्त था ।

आज ब्लोगिंग में एक नया ट्रेंड चल पड़ा है ......

आज ब्लोगिंग में एक नया ट्रेंड चल पड़ा है । अपने ब्लॉग को हीट कराने के लिए अपशब्दों का प्रयोग करो । बहुत से ऐसे ब्लोगर है जिनको किसी ख़ास विषय पर पकड़ नही होती .... ऐसे लोग जल्दी प्रसिद्धी पाने के लिए गाली -गलौज पर भी उतर जाते है । एक दुसरे पर छीटाकशी करना , पर्सनल आरोप लगाना ऐसे लोगो का हथकंडा हो गया है । कुछ देर के लिए वे फेमस भी हो जाते है पर अंततः उन्हें विलीन ही होना पड़ता है । मै कई दिनों से गौर कर रहा हूँ की ऐसे लोगो की तादाद ब्लोगिंग की दुनिया में बड़ी तेजी से बढ़ रही है ।
यह चिंता का विषय है । किसी आदमी को गाली देना अभिवक्ति की स्वतंत्रता नही हो सकती । आलोचना मुद्दों पर आधारित होनी चाहिए न की व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप लगाये जाने चाहिए । मुझे लगता है ऐसे लोगो के पास कोई योजना नही है और न ही कोई विचारधारा है । बस भेड़ की तरह ब्लॉग्गिंग करने आ गए है ....खैर यह उनका अधिकार है और उनसे कोई छीन भी नही सकता ...ऐसा होना भी नही चाहिए । पर अच्छा होगा की कुछ मर्यादा का ख्याल रखा जाए नही तो ब्लोगिंग की पहचान खतरे में पड़ सकती है । हमें यह संकल्प लेना चाहिए की ब्लोगिंग की दुनिया को साफ़ सुथरा बनाए रखेगे और ऐसे लोगो को कभी प्रोत्साहित नही करेगे जिनका मकसद केवल सनसनी पैदा करना है ।

Monday, February 14, 2011

दक्षिण भारत का इतिहास ...

दक्षिण भारत का इतिहास थोडा उलझा हुआ है लेकिन बहुत मजेदार भी है । कहा जाता है की अगस्त्य ऋषि ने विन्ध्य पर्वत के घमंड को चूर चूर कर वैदिक धर्म को दक्षिण भारत में पहुंचाया । उन्होंने वातापी नामक राक्षश को मारकर मानव जीवन पर बहुत बड़ा उपकार किया ।
दक्षिण में भी वैदिक संस्कृति का खूब प्रचार प्रसार हुआ । वहां के ब्राम्हण भी समाज में श्रेष्ठ स्थान रखते थे पर वे मांस व मदिरा का भक्षण करते थे और उन्हें कोई सामाजिक अपयश भी नहीं होता था जबकि उतर भारत में ऐसी बात नहीं थी ।
चेर राज्य में पत्नी पूजा का उल्लेख मिलता है इससे नारी के महत्व का पता चलता है । महिलायें राजा की अंगरक्षक भी होती थी । मुरुगन नामक देवता की पूजा की जाती थी जिनका एक नाम सुब्रमन्यम भी मिलता है । इनकी पत्नी का नाम कूरुवास मिलता है । पुहार यानी कावेरिपतानाम में इन्द्र की पूजा का भी उल्लेख मिलता है । वेल्नादल एक नृत्य होता था जिसमे पुजारी शिव की पूजा करते हुए और नाचते हुए अपने आप में खो जाता था ।

Friday, February 11, 2011

पृथ्वी दिवस

पृथ्वी दिवस भी होली , दिवाली ,दशहरा जैसे त्योहारों की तरह खुशी का दिन और खाने पिने का दिन मान कर मनाया जाने लगा है । इसके उद्देश्य को लोग केवल उसी दिन याद रखते है । बल्कि मै तो कहुगा की घडियाली आंसू बहाते है । हमें इस बात का अंदाजा नही है की कितना बड़ा संकट आने वाला है और जब पानी सर से ऊपर चला जायेगा तो चाहकर भी कुछ नही कर सकते , अतः बुद्धिमानी इसी में है की अभी चेत जाए ।
वैश्विक अतर पर पर्यावरण को बचाने की मुहीम १९७२ के स्टाकहोम सम्मलेन से होती है । इसी सम्मलेन में पृथ्वी की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई और हरेक साल ५ जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने पर सहमती व्यक्त की गई । १९८६ के मोंट्रियल सम्मलेन में ग्रीन हाउस गैसों पर चर्चा की गई । १९९२ में ब्राजील के रियो दे जेनेरियो में पहला पृथ्वी सम्मलेन हुआ जिसमे एजेंडा २१ द्वारा कुछ प्रयास किए गए । इसी सम्मलेन के प्रयास से १९९७ में क्योटो प्रोटोकाल को लागू करने की बात कही गई । इसमे कहा गया की २०१२ तक १९९० में ग्रीन हाउस गैसों का जो स्तर था , उस स्तर पर लाया जायेगा । अमेरिका की बेरुखी के कारण यह प्रोटोकाल कभी सफल नही हो पाया । रूस के हस्ताक्षर के बाद २००५ में जाकर लागू हुआ है । अमेरिका अभी भी इसपर हस्ताक्षर नही किया है । यह रवैया विश्व के सबसे बड़े देश का है , जो अपने आपको सबसे जिम्मेदार और लोकतांत्रिक देश बतलाता है । वह कुल ग्रीन हाउस गैस का २५%अकेले उत्पन्न करता है ।
अगर ऐसा ही रवैया बड़े देशो का रहा तो पृथ्वी को कोई नही बचा सकता । जिस औद्योगिक विकास के नाम पर पृथ्वी को लगातार लुटा जा रहा है , वे सब उस दिन बेकार हो जायेगे जब प्रकृति बदला लेना आरम्भ करेगी ।

Wednesday, February 9, 2011

वेंकटरमण रामकृष्णन

वेंकटरमण रामकृष्णन को रसायन शास्त्र  में वर्ष २००९ का  नोबेल पुरस्कार मिला है. वह पहले भारतीय मूल के वैज्ञानिक है जिन्हें रसायन शास्त्र के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार मिला है.  रामकृष्णन को यह पुरस्कार अमेरिका के टॉमस ए. स्टेट्ज और इस्राइल की अडा. ई. योनथ के साथ संयुक्त रूप से मिला है | इन वैज्ञानिकों को राइबोसोम की संरचना और कार्यप्रणाली पर अध्ययन के लिए इस  पुरस्कार से नवाजा गया.