Monday, February 14, 2011

दक्षिण भारत का इतिहास ...

दक्षिण भारत का इतिहास थोडा उलझा हुआ है लेकिन बहुत मजेदार भी है । कहा जाता है की अगस्त्य ऋषि ने विन्ध्य पर्वत के घमंड को चूर चूर कर वैदिक धर्म को दक्षिण भारत में पहुंचाया । उन्होंने वातापी नामक राक्षश को मारकर मानव जीवन पर बहुत बड़ा उपकार किया ।
दक्षिण में भी वैदिक संस्कृति का खूब प्रचार प्रसार हुआ । वहां के ब्राम्हण भी समाज में श्रेष्ठ स्थान रखते थे पर वे मांस व मदिरा का भक्षण करते थे और उन्हें कोई सामाजिक अपयश भी नहीं होता था जबकि उतर भारत में ऐसी बात नहीं थी ।
चेर राज्य में पत्नी पूजा का उल्लेख मिलता है इससे नारी के महत्व का पता चलता है । महिलायें राजा की अंगरक्षक भी होती थी । मुरुगन नामक देवता की पूजा की जाती थी जिनका एक नाम सुब्रमन्यम भी मिलता है । इनकी पत्नी का नाम कूरुवास मिलता है । पुहार यानी कावेरिपतानाम में इन्द्र की पूजा का भी उल्लेख मिलता है । वेल्नादल एक नृत्य होता था जिसमे पुजारी शिव की पूजा करते हुए और नाचते हुए अपने आप में खो जाता था ।

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