Tuesday, March 31, 2009

स्वदेशी बलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम

* उडीसा के बालासोर से स्वदेशी बलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम का किया गया तीसरा कामयाब टेस्ट एक उपलब्धि है।भारत जिस तरह चारो ओर से दुश्मनों से घिरा हुआ है , ऐसे माहौल में इसकी शख्त जरुरत है ।
*रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन पिछले कई सालों से ऐसी इंटरसेप्टर मिसाइल बनाने में लगा हुआ है और यह उपलब्धि आस जगाती है ।
*अभी हमारे पास लगभग तिन हजार किमी मार करने वाली मिसाइलें है ,जो नाकाफी है । हमारे वैज्ञानिक पाँच से दस हजार किमी तक मार करने वाली आई सी बी एम् मिसाइल बनाने में लगे हुए है ।
*यह डिफेन्स सिस्टम पांच से दस हजार किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलों को टार्गेट तक पहुचने से पहले ही नष्ट कर देगी ।
*इस सिस्टम में इस्राइली ग्रीन पाइन रेडार्स का इस्तेमाल हुआ है, उनमें भी कई सुधार भारतीय वैज्ञानिकों ने किए हैं जो हमारी जरुरत के अनुकूल है ।
* यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम वक्त की जरूरत है। हम हरगिज नहीं चाहेंगे कि कभी इस सिस्टम को आजमाने की नौबत इस इलाके में आए, पर इस संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि भविष्य में यदि युद्ध हुए तो वे मिसाइलों से लड़े जा सकते हैं।उस स्थिति में यह हमारी मदद करेगा ।
*पड़ोसी चीन भी मिसाइल डिफेंस कार्यक्रम में लगा है। हमारे देश में बलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (बीएमडी) अभी प्रारंभिक दौर में है और इसे एक भरोसेमंद डिफेंस सिस्टम में तब्दील होने में कुछ साल और लग सकते हैं।
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Monday, March 30, 2009

मेहदी हसन की हालत ....

आज मेहदी हसन की याद आ रही है .... सोच रहा हूँ ,ऐसे फनकार बिरले पैदा होते है.....अपने इलाज के लिए भी उन्हें पैसे पैसे के लिए तरसना पड़ रहा है , यह देख नई पीढी क्यों गजल गायन या शास्त्रीय संगीत में रूचि दिखायेगी . फिर पत्ता बूटा बूटा जैसी गजलों को अपनी आवाज़ के जादू से यादगार बनाने वाले 82 साल के हसन गरीबी से इस कदर जूझ रहे हैं कि उनके इलाज के लिए भी पूरा बंदोबस्त नहीं हो पा रहा है।दुनिया भर के उनके प्रशंषकों को इलाज के लिए पैसे जुटा कर भेजने चाहिए । पाकिस्तानी या भारतीय सरकार को भी मदद करनी चाहिए ।
वह फेफड़ों के संक्रमण के कारण पिछले डेढ़ महीने से कराची के आगा खान यूनिवर्सिटी अस्पताल में भर्ती हैं। राजस्थान के लूना में जन्मे हसन नौ बरस पहले पैरलाइसिस के चलते मौसिकी से दूर हो चुके है । अन्तिम समय में यह दिन भी देखना पड़ रहा है । क्यों किसी फनकार के पास इतना भी पैसा नही होता जिससे वह अपना जीवन सुखमय बिता सके ।

Wednesday, March 25, 2009

रूस के साथ ऊर्जा समझौता ..

रूस परमाणु ऊर्जा आयोग के साथ हुए 70 करोड़ अमेरिकी डालर के सौदे के तहत जल्द ही भारत को परमाणु ईधन की आपूर्ति शुरू करेगा।परमाणु ऊर्जा आयोग और परमाणु आपूर्ति करने वाली दुनिया की अग्रणी कंपनियों में एक रूस की टीवीईल कार्पोरेशन के बीच इसी साल फ़रवरी में एक दीर्घगामी समझौता हुआ था।
रूस कुडानकुलम में 2000 मेगावाट क्षमता वाले दो डब्ल्यूईआर-1000 संयत्रों का निर्माण कर रहा है। इनके चालू होने पर भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पन्न कराने की क्षमता में काफी वृद्धि होगी ।रूस के राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव की पहली भारत यात्रा के दौरान पिछले साल दिसंबर 2008 में एक समझौते पर दस्तखत हुए थे जिसके तहत वह चार और संयत्र भारत में स्थापित कराने में सहयोग करेगा ।

ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए प्रयास ...

तीसरी दुनिया के देशों के नेतृत्व करते हुए भारत ने जलवायु परिवर्तन पर निष्पक्ष और बराबरी आधारित बहुपक्षीय ढांचे की मांग की है जो विश्व के देशों को कार्बन मुक्त अर्थव्यवस्था की तरफ जल्द बढ़ने में मददगार होगा।

वाशिंगटन के प्रतिष्ठित 'थिंक टैंक' कारनेगी एंडाउमेंट फार इंटरनेशनल रिलेशंस की बैठक को संबोधित करते हुए जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री के विशेष दूत श्याम सरन ने कहा कि भारत चाहेगा कि इस सिलसिले में अमेरिका नेतृत्व संभाले।

सरन ने कहा की हमें बहुपक्षीय ढांचा बनाने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है जो निष्पक्ष और बराबरी आधारित हो तथा हमें कार्बन मुक्त अर्थव्यवस्था से यथाशीघ्र बदलाव में मदद करे। उन्होंने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि कोपनहेगन में 15वीं सीओपी में निष्पक्ष और बराबरी आधारित तथा महत्वाकांक्षी नतीजा निकलेगा जो यूएनएफसीसीसी और बाली कार्ययोजना के नतीजे पर आधारित होगा। उन्होंने कहा कि भारत इस उद्देश्य के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है। इससे ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ वैश्विक माहौल बनेगा ।

उन्होंने कांग्रेस सदस्य एड मर्की से मुलाकात की, जो उर्जा स्वावलंबन और ग्लोबल वार्मिंग पर चयन समिति के प्रमुख हैं। उल्लेखनीय है कि मर्की असैनिक परमाणु समझौते के प्रबल विरोधी रहे हैं जो दोनों देशों के बीच पिछले साल हुआ।भारत सभी को समझाने की कोशिश करेगा की यह नाभिकीय समझौता न तो किसी के खिलाफ है और न ही इससे उसके पर्यावरण कार्यक्रम पर असर पड़ेगा । इसके उलट तापीय ऊर्जा पर निर्भरता कम होने से गैसों के उत्सर्जन पर अंकुश लगाया जा सकेगा ।

Saturday, March 21, 2009

है अँधेरी रात पर दीपक जलाना कब मना है .....

है अँधेरी रात पर दीपक जलाना कब मना है ..... यह कथन मुझे रात में याद आ रहा था । रात में बिजली चली गई थी , कुछ पढ़ने का मन भी कर रहा था पर आलस की वजह से बाहर जाकर मोमबती लाने में कतरा रहा था । तभी दिमाग में यह बिचार आया और भाग कर मोमबती लेने चला गया । बिजली काफी देर तक नही आई .... इसी बिच मैंने कुछ पढ़ लिया ।

यह एक छोटी सी घटना है । पर इसका अर्थ काफी बड़ा है । जीवन में कई ऐसे मौके आते है जब हम अँधेरी रात का बहाना बना काम को छोड़ देते है । माना की समाज के सामने चुनौतिया ज्यादा है और समाधान कम । तो क्या हुआ ? यह कोई नई बात तो है नही .... हमेशा से ऐसा ही होता रहा है । आम आदमी की चिंता करने वाले काफी कम लोग है । गरीबों के आंसू पोछने वाले ज्यादातर नकली है ... तो क्या हुआ , आपको कौन मना कर रहा है की आप असली हमदर्द न बने । मै समझता हूँ की यह ख़ुद को धोखा देने वाली बात हुई । एक चिंगारी तो जलाई ही जा सकती है .... इसके लिए किसी का मुंह देखने की जरुरत नही है । परिस्थितिओं का रोना रो रो कर तो हम बरबाद हो चुके है । अब और नही ..... यह शब्द दिल से जुबान पर आना ही चाहिए ।

सोचता हूँ , अँधेरी रात का बहाना हम अपनी कमियों को छिपाने के लिए बनाते है .... औरो का तो नही पता पर मै इस काम में माहिर हूँ । ये बड़ी शर्म की बात है .... जीवन को अर्थहीन बनाने में इसका बड़ा योगदान रहा है । पर अब एक मकसद मिल गया है ..... दीपक तो जलाना ही पड़ेगा ।

इस सड़क पर इस कदर कीचड़ बिछी है

हर किसी का पाँव घुटनों तक सना है .......

यह सही है की घुटनों तक कीचड़ सना है .... भ्रष्टाचार का बोलबाला है । पर किसी न किसी को तो कीचड़ साफ़ करना ही पड़ेगा और वह हम ही क्यों न हो .... किसी ने रोका तो नही है न ....

Wednesday, March 18, 2009

कागज की आजादी मिलती , दो दो आने में ....

कागज की आजादी मिलती , ले लो दो दो आने में ....... नागार्जुन
मुझे इस कथन पर ज्यादा आश्चर्य नही होता , जब मै आज के हालात को देखता हूँ । आज ज्यादातर लोग आजादी का मतलब समझते ही नही और कुछ लोग समझकर भी समझना नही चाहते । नई पीढी जो अपने आप को मॉडर्न कहती है , उसका तो बहुत बुरा हाल है । जब कालेज के अधिकाँश छात्र ये नही जानते की देश गणतंत्र कब हुआ तो वे आजादी के मतलब को क्या समझेगे ? उनकी जिंदगी कालेज कैम्पस तक सिमट गई है .... देश -दुनिया में क्या हो रहा है ?उससे कोई सरोकार नही । यह देख लगता है की एक दिन दो दो आने वाली बात भी सच हो जायेगी ।

हम आजाद हुए थे आधी रात को और सबेरा अभी तक नही हुआ ...

हम आजाद हुए थे आधी रात को और सबेरा अभी तक नही हुआ ...... सोचिए किसका दोष है ? हमारा , जी एकदम सही कहा ..... दूसरों पर जिम्मेदारी डालना हमारी नियति बन गई है । माना की सबसे बड़ी जिम्मेदारी हमारी सरकार की और हमारे नेताओं की बनती है , लेकिन वो पैदा कहाँ से होते है .... हमें सब पता होता है ....पर हम समझना नही चाहते .... कोई बात नही , मत समझिये ..... आगे सबेरा होगा भी नही ।

Monday, March 16, 2009

गांधीवाद ...

शैल घोष ने गाँधी के ऊपर ''कोलोनियल मोर्देनाइजेसन एंड गाँधी '' नामक एक किताब लिखा है इसमे उन्होंने लिखा है कि गांधी की विचारधारा भारतीय राष्ट्रीयता को समझने के लिए एक प्रस्थान बिंदु है। गांधी के परिदृश्य में आने के बाद ही भारतीय राष्ट्रीयता आंदोलन में वे लोग भी शामिल हुए जो पहले समाज में हाशिए पर थे। इससे भारतीय राष्ट्रवाद का दायरा विस्तृत हुआ। इस राष्ट्रवाद की जड़ें पश्चिम में नहीं थीं, लेकिन ऐसा भी नहीं था कि इसमें उपनिवेशवाद की कोई भूमिका नहीं थी।गांधी को उभारने में उपनिवेशवाद का अपना अलग रोल रहा था । आधुनिकता के कोई एक मायने नहीं हैं और समय बदलने के साथ इसके मायने भी बदल जाते है । औपनिवेशिक ताकतों ने राष्ट्रवादी रोष को कम करने के लिए गांधी की आलोचनाओं का सर्वाधिक रचनात्मक उत्तर भी दिया। इसलिए औपनिवेशिक आधुनिकता को भारतीय राष्ट्रवाद के परिप्रेक्ष्य में देखा-समझा जाना चाहिए, जो अपनी भारतीय विशेषताओं के साथ विकसित जरूर हो रही थी, पर इसके बावजूद वह राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने की पश्चिमी विचारधारा के खिलाफ नहीं थी। यह सही है की उपनिवेशवाद ने गांधी जैसे लोगों को बढ़ने में सहायता की पर इनकी काबिलियत और दूरदृष्टि ने इतना फेमस बनाया । आतंरिक शक्ति ने ही उपनिवेशवाद से लड़ने के लिए शक्ति प्रदान की ।

Sunday, March 15, 2009

मेरे सपनों का भारत

भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में गाँधी का आगमन एक नविन घटना के रूप में देखा जाता है । गांधीजी के सपनों के भारत में पृथ्वी पर एक ऐसे स्वर्ग की परिकल्पना है जहाँ कोई न किसी का गुलाम होगा और न ही किसी दुसरे पर निर्भर होगा ।
मेरे सपनों के भारत में इस आशय को प्रकट करते हुए वो लिखते भी है ......
'' मै ऐसे भारत के लिए कोशिश करूँगा जिसमे उच्च और निम्न वर्गों का भेद नही होगा । ऐसे भारत में अस्पृश्यता का कोई अस्तित्व नही होगा । शराब और दूसरी नशीली चीजों के अभिशाप के लिए कोई स्थान नही होगा ...... उसमे महिलाओं को वही अधिकार होगे जो पुरुषों को होगे । न तो हम किसी का शोषण करेगे और न ही अपना शोषण होने देगे ।

Saturday, March 14, 2009

जिंदगी की असली उड़ान

जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है ,
आपके इरादों का इम्तिहान अभी बाकी है ,
अभी तो नापी है मुट्ठी भर जमीं ,
आगे अभी सारा आसमान बाकी है ......

अहिंसा मेरे विश्वास का पहला नियम है ....

महात्मा गाँधी अहिंसा को अपना धर्म मानते थे । इसलिए असहयोग आन्दोलन के दौरान हिंसा होने पर उन्होंने आन्दोलन वापस लेने का फैसला लिया था । इस कदम की आलोचना भी हुई पर उन्होंने अहिंसा के नाम पर समझौता नही किया । असहयोग आन्दोलन उनका अपना चलाया गया आन्दोलन था अतः वापस लेने अधिकार केवल उन्हें ही था । हालांकि इससे जनता के बिच कुछ निराशा जरुर हुई लेकिन जल्द ही उनके अनुयायी गांवों में रचनात्मक कार्यों में लग गए । यही रचनात्मक कार्य अगले आन्दोलन की नींव रखने वाले थे । सच बात तो यह है की गाँधी जी के पास हमेशा कोई न कोई काम रहता ही था । वे कभी भी खाली नही बैठे ।

अहिंसा मेरे विश्वास का पहला नियम है । यही मेरे विश्वास का अन्तिम नियम भी है । ये कथन गाँधी जी का है । इन वाक्यों हमें समझ आता है की उनके लिए अहिंसा के मायने क्या थे ?

Tuesday, March 10, 2009

अंग प्रदर्शन का ज़माना .....और बिकनी


१९३१ में जब आलमआरा फ़िल्म रिलीज हुई थी तो पूरा शहर थिएटर के बाहर जमा हो गया था। यह बॉलिवुड की पहली बोलती फिल्म थी ही साथ ही हर कोई पर्दे पर फिल्म की हीरोइन जुबैदा की खूबसूरती देखना चाहता था। फिल्म की पब्लिसिटी में जुबैदा को दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत कहकर प्रचारित किया गया था। सीमित साधनों से ही पब्लिसिटी के बावजूद जुबैदा लोगों के जेहन में बस गई। निर्माता ए. ईरानी ने पब्लिसिटी में फिल्म के हीरो विट्ठल और को-स्टार पृथ्वीराज कपूर तक को जगह नहीं दी। जुबैदा को फोकस करने का भरपूर फायदा मिला। इस थिएटर पर यह फिल्म 23 सप्ताह चली। हीरोइनों की सुंदरता के बहाने दर्शकों को खींचने का सिलसिला आज तक जारी है। पुराने जमाने में निर्माता-निर्देशक हैदराबाद और दिल्ली की बदनाम गलियों में हीरोइनें तलाशते घूमते थे। गुरुदत्त ने अपने 'चौदहवीं के चांद' वहीदा रहमान को ऐसे ही खाक छानकर ढूंढा था। दिल्ली की बेबी मेहरूनीसा को उसके अब्बा इस चाह में मुंबई ले गए थे कि फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं करके जो रकम मिलेगी, उससे उनके लंबे-चौड़े परिवार को सहारा मिल जाएगा। बला की खूबसूरत मेहरूनीसा, मधुबाला बनकर शोहरत की बुलंदियों पर जा बैठी। नरगिस और मीना कुमारी ने भी उस मुश्किल दौर में हिम्मत और हुनर से अलग पहचान बनाई। हीरोइनों की बोल्ड इमेज की शुरुआत भी पचास-साठ के दशक में हुई, जब आर।के. बैनर की 'आवारा' में नरगिस ने स्विमिंग सूट पहना। नूतन जैसी गंभीर इमेज वाली अभिनेत्री भी फिल्म 'यादगार' में स्विमिंग सूट में नजर आई।
सात दशक पहले ग्लैमर इंडस्ट्री में सीधी-सादी साड़ी में नजर आने वाली मीना कुमारी, नरगिस, मधुबाला, वहीदा रहमान, माला सिन्हा, नंदा, साधना, वैजयंती माला, आशा पारिख जैसी हीरोइनों का ट्रेंड परवीन बॉबी और जीनत अमान जैसी नई सोच वाली बोल्ड हीरोइनों ने बदला। आज की हीरोइने बिकनी पहनने में या बोल्ड सिन करने में बहुत ही आगे बढ़ गई है । ऐसा लगता है की अश्लीलता की चरम स्थिति आ गई है । खैर यह ज़माना का ही प्रभाव है । हम जैसा देखना चाहते है वैसा ही फ़िल्म निर्माता परोसते है । आज जीरो साइज का ज़माना है .... अगर कोई हिरोइन इस रुल को फौलो नही कराती है तो उसका बालीवुड में टिकना मुश्किल है ।

Sunday, March 8, 2009

हेपटाइटिस-बी......

हेपेताइतिस बी बिमारी एक जानलेवा बिमारी है । भारत में हजारों लोग हर साल इससे मर जाते है । इसके मुख्य लक्षण है ....
बुखार जैसा महसूस होना, थकान, पेटदर्द, बुखार, खाने का मन न करना, डायरिया, पीली पेशाब आना आदि । हेपटाइटिस की शुरुआत में नॉजिया, जोड़ों में दर्द और थकान महसूस होती है। कु छ लोगों को बुखार और लिवर में सूजन के कारण पेट के दाएं ऊपरी हिस्से में तेज दर्द हो सकता है। कुछ लोगों में लक्षण नजर नहीं आते। एम्स के सीनियर गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट डॉ. अनूप सराया का कहना है कि दुनिया में करीब 35 करोड़ लोगों में हेपटाइटिस-बी वायरस रहता है।


यह लिवर की बीमारी है। इसमें लिवर में सूजन आ जाती है, जिससे वह सही ढंग से काम नहीं कर पाता। लिवर इन्फेक्शन से लड़ता है। खून बहना रोकता है। खून से दवाओं और दूसरी जहरीली चीजों को अलग करता है और शरीर की जरूरी एनर्जी स्टोर करके रखता है।

कारण ......
हेपटाइटिस-बी बीमारी एक वायरस के कारण होती है। ये वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकते हैं। संक्रमित व्यक्ति के ब्लड, सीमेन और दूसरे बॉडी फ्लूइड से वायरस फैलते हैं। असुरक्षित सेक्स करने से, एक ही सूई से ड्रग्स लेने, टैटू आदि बनवाने से, हेपटाइटिस-बी के मरीज के साथ रहने, इन्फेक्टेड व्यक्ति के टूथब्रश, रेजर आदि इस्तेमाल करने से, इन्फेक्टेड प्रेग्नंट महिला से बच्चे को यह बीमारी हो सकती है। दवाओं के साइड इफेक्ट, ज्यादा शराब पीने, कुछ टॉक्सिक केमिकल, गॉल ब्लैडर या पैन्क्रियाज के डिसॉर्डर और रीयूज्ड सीरिंज, इन्फेक्टेड ब्लड से होने वाले इन्फेक्शन आदि भी इसकी वजह हो सकते हैं। मरीज से हाथ मिलाने, गले मिलने और साथ बैठने से हेपटाइटिस-बी नहीं फैलता है अतः इन सभी भ्रांतियो पर ध्यान नही देना चाहिए । इसके पक्ष में समाज में जागरूकता फैलाने की जरुरत है ।


इसके इलाज में ब्लड टेस्ट, लिवर बायोप्सी भी की जा सकती है। दवाओं के जरिए इलाज एक साल तक चलता है। जिनका लिवर डैमेज हो चुका होता है, उनका लिवर ट्रांसप्लांट करना पड़ता है। शुरुआत में ही हेपेताइतिस का टिका लगवा लेना बेहतर होता है ।

Wednesday, March 4, 2009

प्राइस अर्निंग ( पीई ) अनुपात

प्राइस अर्निंग ( पीई ) अनुपात। यह दरअसल किसी भी शेयर का वैल्यूएशन जानने के लिए सबसे प्राथमिक स्तर का मानक है। दूसरे शब्दों में इसे इस तरह समझा जा सकता है कि यह अनुपात बताता है कि निवेशक किसी शेयर के लिए उसकी सालाना आय का कितना गुना खर्च करने के लिए तैयार हैं। सीधे शब्दों में किसी शेयर का पीई अनुपात दरअसल वर्षों की संख्या है , जिनमें शेयर का मूल्य लागत का दोगुना हो जाता है।

जैसे अगर किसी शेयर का मूल्य किसी खास समय में 100 रुपए है और उसकी आय प्रति शेयर 5 रुपए है , तो इसका मतलब यह है कि उसका पीई अनुपात 20 होगा। यानी अगर सारी परिस्थितियां समान हों तो 100 रुपए के शेयर का दाम 20 साल में दोगुना हो जाएगा। यानी उस शेयर का पीई अनुपात उस खास समय में 20 है।

Tuesday, March 3, 2009

आनो भद्राः क्रतवो यन्तु विस्वतः

आपसे नीवेदन है , अगर आप ऊपर दिए गए श्लोक का अर्थ जानते है तो मुझे जरुर बताये । मै आपका आभारी रहूँगा ।

Sunday, March 1, 2009

भविष्य की तकनीक .....

आज टेक्नोलाजी का ज़माना है ...... कुछ ऐसी तकनीक आ चुकी है जिसको कभी संभव ही नही माना जाता था , लोग शंका भरी नजरों से देखा करते थे । आगे भी कुछ ऐसा ही होने वाला है ... जो अभी संभव नही दिखता ।
* एमआईटी में मटीरिअल्स केमिस्ट्री के प्रोफेसर डोनाल्ड साडोवे ने लिक्विड बैटरी तैयार की है। इस बैटरी में इलेक्ट्रिसिटी की भारी मात्रा स्टोर की जा सकती है जो रात भर सोलर पावर के जरिए कई शहरों की इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत को पूरा कर सके।
* एक टीम एक ऐसा रिएक्टर तैयार करने में लगी है जो डेपलीटेड यूरेनियम यानी पर चलेगी। इससे न्यूक्लियर पावर पर काम करना आसान होगा और अब के मुकाबले काफी सस्ता भी होगा।
* हार्वड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉर्ज वाइटसाइड्स पेपर डायग्नोस्टिक टेस्ट को तैयार करने में लगे हैं। इसके तहत पेपर के जरिए ज्यादा से ज्यादा मेडिकल टेस्ट्स लेना संभव होगा। तब यूरिन या ब्लड संबंधी टेस्ट्स के लिए केवल एक पेपर का यूज किया जाएगा इन सैंप्लस का बाद में मेडिकल टेस्ट हो सकेगा। यह सस्ता भी होगा और जल्दी भी ।
* केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर मिशेल माहरबिज़ ने अनोखी बायलॉजिकल मशीन्स तैयार की हैं। यह ऐसे जीवाणुओं की फौज होगी जो निगरानी या खोजबीन में काम आ सकेंगे। इसका प्रयोग अपने आप में जादू से कम नहीं होगा।
* बायोनैनोमेट्रिक्स के फाउंडर हान काओ ने एक नैनो-फ्लूडिक चिप तैयार की है, जिससे जीनोम अनालिसिस का खर्च काफी हद तक कम हो जाएगा। इस टेक्नॉलॉजी का सही प्रयोग कर डॉक्टर्स किसी पेशेंट के यूनीक जेनेटिक प्रोफाइल को समझकर उसके मुताबिक बीमारियों का ट्रीटमेंट कर सकते हैं। साथ ही इस चिप के सही प्रयोग से नए वायरसस की पहचान भी आसान होगी।
* स्टैंडफोर्ड कंप्यूटर साइंटिस्ट निक मैक्विन ने ओपनफ्लो नाम का सॉफ्टवेयर तैयार किया है। इसके जरिए इंटरनेट यूजर्स को फायदा पहुंचेगा। ओपनफ्लो की हेल्प से रिसर्चर्स नई नेटवर्किंग टेक्नॉलॉजीज को आसानी से और तुरंत जांच सकेंगे। और हां, इस प्रोसेस के दौरान इंटरनेट की नॉर्मल सर्विसेस में कोई खलल नहीं पड़ेगा।
* जॉर्जिया टेक में मटीरिअल साइंटिस्ट झोंग लिन वांग नानो-पायज़ोट्रानिक्स की फील्ड की एक उपलब्धि सामने लाने वाले हैं। वांग पायज़ोइलेक्ट्रिक नैनोवायर बना रहे हैं जो एनवॉयरमेंट की नन्ही वायब्रेशन्स के जरिए बिजली बना लेती हैं। ये उन मेडिकल डिवाइस को चलाएगी, जिन्हें शरीर के भीतर इंप्लांट किया जाता है। यह अपने आप में जादुई उपलब्धि है ।

ऐसे ही कई करिश्मे इंतजार में है । हम सब वेट कर रहे है ।