Saturday, June 27, 2009

आज के कुत्तें ......

आज, जब मै अपने रूम से निकला तो देखा की एक कुत्ता एक कूड़ा उठाने वाले पर जोर जोर से भौंक रहा है । वह बहुत जोर से भौक रहा था .....ऐसा लगा उसने अपनी पुरी शक्ति लगा दी हो । बेचारा कूडे वाला उसकी तो जान ही अटक गई थी । दो तिन और कुत्तें वही बैठे हुए थे । वे सब ऊँघ रहे थे । उनको कोई फर्क नही पड़ा की उनका एक साथी कुछ कर रहा है । मुझे यह देख घोर आर्श्चय हुआ । गाँव याद आ गया । गाँव में अगर किसी एक मुद्दें को लेकर कोई कुत्ता भौकना शुरू करता था तो मजाल है की उसके आस पास के कुत्तें चुप रहे । वे तुंरत यूनिटी दिखाते हुए साथ देने लगते ।
आज सोचता हूँ की इंसान शहरी होकर एक दुसरे के साथ मिलना जुलना ,दुःख दर्द में शरीक होना तो छोड़ ही चुका है .....इसका असर शहरी कुत्तों पर भी पड़ा है ,तभी तो वे उस यूनिटी को भूल चुके है जो कभी उनकी विरासत रह चुकी है । मै इसे सोचते सोचते आगे बढ़ गया ..... लड्डू चलो चुपचाप...... आगे अभी बहुत से बदलाव देखने है । एक दिन तो इंसानियत को भी ख़त्म होते देखना है .....तब मुझे लगा की ये तो एक छोटी सी बात है और मेरे कदम आगे बढ़ गए ।

Saturday, June 20, 2009

आने वाली जेनेरेशन के लिए भी कुछ बचा कर रखो ....

एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 2050 तक ग्लेशियरों के पिघलने से भारत, चीन, पाकिस्तान और अन्य एशियाई देशों में आबादी का वह निर्धन तबका प्रभावित होगा जो प्रमुख एवं सहायक नदियों पर निर्भर है।ग्लोबल वार्मिंग आज पुरे विश्व की प्रमुख समस्या बन चुकी हैयह किसी एक देश से सम्बंधित होकर वैश्विक समस्या है ,जिसकी चपेट में लगभग सारे देश आने वाले है
भारतीयों के लिए गंगा एक पवित्र नदी है और उसे लोग जीवनदायिनी मानते हैं। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि नदियों में परिवर्तन और उन पर आजीविका के लिए निर्भरता का असर अर्थव्यवस्था, संस्कृति और भौगोलिक प्रभाव पर पड़ सकता है। गंगा तब जीवनदायिनी नही रह पायेगीबाढ़ और सूखे का प्रकोप बढ़ जाएगा
जर्मनी के बॉन में जारी रिपोर्ट Searh of Shelter : Mapping the Effects of Climate Change on Human Mitigation and Displacement में कहा गया है कि ग्लेशियरों का पिघलना जारी है और इसके कारण पहले बाढ़ आएगी और फिर लंबे समय तक पानी की आपूर्ति घट जाएगी। निश्चित रूप से इससे एशिया में सिंचित कृषि भूमि का बड़ा हिस्सा तबाह हो जाएगा। यह रिपोर्ट एक भयावह स्थिति को प्रर्दशित करता हैसमय रहते ही चेत जाने में भलाई है , नही तो हम आने वाली भावी पीढियों के लिए कुछ भी छोड़ कर नही जायेंगे और यह उनके साथ बहुत बड़ा धोखा होगा

Thursday, June 18, 2009

एक स्वप्न जो टूट गया.....

दिल बैठ गया ....दिल की बातें अन्दर ही रह गई
इतना तो पता चल ही गया ....सपना देख रहा था ...जिसे एक दिन टूटना ही था
अपमानित भी हुआ ....शायद जिंदगी में पहली बार ....!
उसने मेरे वजूद को हिला कर रख दियाअन्दर तक हिल गयादुबारा हिम्मत ही नही बची ....
इतना आकर्षण कभी नसीब नही हुआ था ....पर टुटा तो सीधे फर्श पर गिरा
एक सपना .....भूल जाना ही बेहतर हैयही प्रायश्चित है

Friday, June 5, 2009

..हाय रे मेमोरी !

जब स्कूल में था, तो ये दुनिया बड़ी अजीब लगती थी . सबकुछ बड़ा ही अजीब लगता था . बाल मन में कई अजीब सवाल उठते थे ....उन सवालों के जबाब कोई देने वाला नही था । आज जब कई लोग उनका जबाब दे सकते है तो सवाल ही नही उठते । वो बचपन कहाँ गया ....वो इक्षाशक्ति और जानने की लालशा कहाँ गई ....भाई मै तो बड़ा ही परेशान हूँ । कहतें है अतीत को याद नही करना चाहिए लेकिन मै अपनी बचपन की यादों को कैसे छोड़ दूँ ? वो मस्त जीवन , वो मीठी यादें .....नही भूल सकता । गाँव की गलियों में घूमना । कोई चिंता फिकर नही .... डांट खाना और फ़िर वही करना ,आगा पीछे सोचने की कोई कोशिश नही । घर से ज्यादा दोस्तों की चिंता ....कौन क्या कर रहा है .....इसकी ख़बर रखना । आज कई यादें धुंधली हो गई है ....कुछ तो लुप्त हो गई है ....हाय रे मेमोरी । याद करने की कोशिश बेकार हो जाती । वो बचपन छोटा सफर था लेकिन अकेला सफर तो कतई नही था । आज तो मन भीड़ में भी अकेला लगता है .... ये दर्द बयां नही कर सकता । केवल महशुश कर सकता हूँ ।

Tuesday, June 2, 2009

ख़्वाबों में ही तुझे तराशा है .....

मेरा हर ख्वाब तुमसे हैख़्वाबों में तुझे ही हर रोज पाता हूँ
.....और तुम गुमसुम बैठी होये ठीक नही है ....अब मुस्कुरा भी दो
मुझे अच्छा लगेगा
तुझे देख कर ही तो ख्वाब बुनता हूँकैसे तोड़ दूँ ?
ख़्वाबों में ही तुझे तराशा हैकड़ी मेहनत से एक मूरत बनी है
कैसे छोड़ दूँ ?
तेरी चमकीली आँखें ...मेरे सपनों की बुनियाद है
अब जाओ ...देर करोये ठीक नही है