Tuesday, June 2, 2009

ख़्वाबों में ही तुझे तराशा है .....

मेरा हर ख्वाब तुमसे हैख़्वाबों में तुझे ही हर रोज पाता हूँ
.....और तुम गुमसुम बैठी होये ठीक नही है ....अब मुस्कुरा भी दो
मुझे अच्छा लगेगा
तुझे देख कर ही तो ख्वाब बुनता हूँकैसे तोड़ दूँ ?
ख़्वाबों में ही तुझे तराशा हैकड़ी मेहनत से एक मूरत बनी है
कैसे छोड़ दूँ ?
तेरी चमकीली आँखें ...मेरे सपनों की बुनियाद है
अब जाओ ...देर करोये ठीक नही है

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