Sunday, September 11, 2011

मत्स्य पुराण में लिंग पूजा का उल्लेख मिलता है ।
कालिदास शिवोपासक थे ।
भारवि ने अपने महाकाव्य किरातार्जुनीय में अर्जुन और शिव के बिच युद्ध का वर्णन किया है ।
वाकातक शासक प्रवार्शें द्वितीय को सेतुबंध नामक कृति का रचयिता माना जाता है ।
कनिष्क के दरबार में पार्श्व ,वसुमित्र और अश्वघोष जैसे विद्वान् थे ।
मेगास्थनीज के अनुसार मौर्य काल में बिक्री कर नही देने वाले को मृत्यु दंड मिलता था ।
बौध धर्म के अनुसार महापरिनिर्वान मृत्यु के बाद ही संभव है ।

4 comments:

महेन्‍द्र वर्मा said...

राय जी, थोड़ा विस्तार से लिखते तो अच्छा होता।

दिगम्बर नासवा said...

अनोखे तथ्य ...

mark rai said...

ji aaplogon ke sujhaaw par dhyaan dunga....

mark rai said...
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