मत्स्य पुराण में लिंग पूजा का उल्लेख मिलता है ।
कालिदास शिवोपासक थे ।
भारवि ने अपने महाकाव्य किरातार्जुनीय में अर्जुन और शिव के बिच युद्ध का वर्णन किया है ।
वाकातक शासक प्रवार्शें द्वितीय को सेतुबंध नामक कृति का रचयिता माना जाता है ।
कनिष्क के दरबार में पार्श्व ,वसुमित्र और अश्वघोष जैसे विद्वान् थे ।
मेगास्थनीज के अनुसार मौर्य काल में बिक्री कर नही देने वाले को मृत्यु दंड मिलता था ।
बौध धर्म के अनुसार महापरिनिर्वान मृत्यु के बाद ही संभव है ।
Sunday, September 11, 2011
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4 comments:
राय जी, थोड़ा विस्तार से लिखते तो अच्छा होता।
अनोखे तथ्य ...
ji aaplogon ke sujhaaw par dhyaan dunga....
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