इसके मुताबिक 2004 से 2009 के दौरान कोयला खदानों का आबंटन जिस तरीके से किया गया, उससे संबंधित निजी कंपनियों को अप्रत्याशित लाभ पहुंचा और सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
दूसरी रिपोर्ट- इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड््डे को विकसित करने वाली कंपनी डायल को दो सौ उनतालीस एकड़ जमीन महज सौ रुपए सालाना लीज-शुल्क पर दे दी गई, जबकि इस जमीन की मौजूदा कीमत चौबीस हजार करोड़ रुपए है।
तीसरी रिपोर्ट- रिलायंस पॉवर को उनतीस हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि कंपनी के सासन बिजली संयंत्र के लिए आबंटित कोयला खदान का इस्तेमाल उसकी अन्य परियोजनाओं के लिए भी करने की छूट दे दी गई.
Friday, August 24, 2012
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