Friday, February 20, 2009

उसकी हिम्मत को मेरा सलाम

आज मैंने एक रिक्शेवाले को देखा ....मेरा मन दहल गया । उसका एक हाथ कटा हुआ था । एक ही हाथ से रिक्शा चला रहा था । उसके हिम्मत को देखकर मै चकीत रह गया .....सोच रहा हूँ एक हाथ से रिक्शा चलाना कितना मुश्किल होगा । उसने बताया की शुरू में तो यह संभल ही नही रहा था लेकिन धीरे धीरे आदत हो गई और अब चला लेता हूँ ।
सोचता हूँ उसने बहुत हिम्मत का परीचय देते हुए यह रास्ता चुना है ...... वह चाहता तो भिखमंगों की क़तर में शामिल हो सकता था लेकिन उसने ऐसा नही किया । मैंने कुछ अधिक पैसे देने की कोशिश की पर असफल रहा ।
इस घटना ने मुझे झकझोर कर रख दिया है ...... शायद भविष्य में कभी निराश हो जाऊं तो उसका चेहरा जरुर याद करूँगा । उसके हिम्मत और खुद्दारी को सलाम करता हूँ ।

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