Wednesday, March 18, 2009

कागज की आजादी मिलती , दो दो आने में ....

कागज की आजादी मिलती , ले लो दो दो आने में ....... नागार्जुन
मुझे इस कथन पर ज्यादा आश्चर्य नही होता , जब मै आज के हालात को देखता हूँ । आज ज्यादातर लोग आजादी का मतलब समझते ही नही और कुछ लोग समझकर भी समझना नही चाहते । नई पीढी जो अपने आप को मॉडर्न कहती है , उसका तो बहुत बुरा हाल है । जब कालेज के अधिकाँश छात्र ये नही जानते की देश गणतंत्र कब हुआ तो वे आजादी के मतलब को क्या समझेगे ? उनकी जिंदगी कालेज कैम्पस तक सिमट गई है .... देश -दुनिया में क्या हो रहा है ?उससे कोई सरोकार नही । यह देख लगता है की एक दिन दो दो आने वाली बात भी सच हो जायेगी ।

3 comments:

कडुवासच said...

... दोनो ही पोस्ट प्रसंशनीय व प्रभावशाली हैं।

sandhyagupta said...

Aapki baat sochne ko majboor karti hai.

हिमांशु पाण्‍डेय said...

बडा ही दुखद सत्य आपने उजागर किया
लेकिन सच तॊ कडवा हॊता ही है ऒर इसे स्वीकार करना ही पडेगा