कागज की आजादी मिलती , ले लो दो दो आने में ....... नागार्जुन
मुझे इस कथन पर ज्यादा आश्चर्य नही होता , जब मै आज के हालात को देखता हूँ । आज ज्यादातर लोग आजादी का मतलब समझते ही नही और कुछ लोग समझकर भी समझना नही चाहते । नई पीढी जो अपने आप को मॉडर्न कहती है , उसका तो बहुत बुरा हाल है । जब कालेज के अधिकाँश छात्र ये नही जानते की देश गणतंत्र कब हुआ तो वे आजादी के मतलब को क्या समझेगे ? उनकी जिंदगी कालेज कैम्पस तक सिमट गई है .... देश -दुनिया में क्या हो रहा है ?उससे कोई सरोकार नही । यह देख लगता है की एक दिन दो दो आने वाली बात भी सच हो जायेगी ।
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3 comments:
... दोनो ही पोस्ट प्रसंशनीय व प्रभावशाली हैं।
Aapki baat sochne ko majboor karti hai.
बडा ही दुखद सत्य आपने उजागर किया
लेकिन सच तॊ कडवा हॊता ही है ऒर इसे स्वीकार करना ही पडेगा
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