* भारत की पहली मूक फ़िल्म दादा साहेब फाल्के ने १९१३ में बनाई।
* उन्हें भारतीय सिनेमा का पितामह कहा जाता है ।
* २० सालों में उन्होंने ९५ फूल लेंथ की फिल्में और २६ शोर्ट लेंथ की फिल्में बनाई ।
* फिल्मों का निर्माण उनके लिए सिर्फ़ व्यवसाय नही था ... अपनी फिल्मों के प्रदर्शन के लिए
बैलगाडी से गाँव -गाँव घुमते थे ।
* १९३२ में उनकी अन्तिम मूक फ़िल्म '' सेतुबंधन '' रिलीज हुई ।
* १९३७ में उन्होंने अपनी आखिरी फ़िल्म ''गंगा अवतरण '' बनाई ।
Saturday, February 21, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
markand ji aapko dekhkar lagta hai ke aapki film induatry me gahri ruchi aur jankari hai.
main aaj bhi aap ki rachna ka intezar kar raha hun. aapne 1 bar mere blog par comment kiya tha gar ho sake to bhej.
आपने ठीक से पढ़ा नहीं शायद. दादासाहेब ने १५ नहीं ९५ फुल लेंथ फिल्में बनाईं थीं.
दादासाहेब की पहली मूक-फ़िल्म ज़रूर "राजा हरिश्चंद्र" थी मगर यह भारत की पहली मूक फ़िल्म नहीं थी. अगर पहली फुल लेंथ फ़िल्म की बात करें तो "पुन्दरिक" १९१२ में बन चुकी थी जिसे दादासाहेब तोरने ने बनाया था. इससे पहले कम से कम तीन शोर्ट फिल्में बनाई जा चुकी थीं. १८९९ में हरिश्चंद्र सखाराम भटवडेकर ने दो छोटी फिल्में बनाईं थीं: "द रेसलर" और "मैन एंड मंकी" और दादासाहेब ने भी "राजा हरिश्चंद्र" से पहले एक शोर्ट फ़िल्म बनाई थी, "द बर्थ ऑफ़ अ प्लांट".
mahen jee aapane bilkul sahi kaha 95 ko 15 likh diya tha. aapaka shukriya,aage bhi dhyaan dete rahiye
Post a Comment