Sunday, April 5, 2009

लज्जा और हया

लज्जा और हया शब्द तो म्यूजियम में रखने योग्य हो गए है । लोगो को दिखाया जायेगा ... ये कभी भारत के अनमोल धरोहर होते थे । लोग विश्वास नही करेगे और बहस शुरू हो जायेगी ।

4 comments:

Anil Kumar said...

चलिये इसी बात पर आपको मल्लिका शेरावत का एक नायाब फोटो दिखा देते हैं! बतायें इस फोटो में क्या खास बात है? यहाँ चटका लगाकर देखें!

कडुवासच said...

आपके भाव तथा अनिल जी की टिप्पणी दोनो भावपूर्ण हैं।

वन्दना अवस्थी दुबे said...

क्या बात है!!!सचमुच अब ये शब्द संग्रहालय की शोभा ही बढायेंगे.बधाई.

kumar Dheeraj said...

लज्जा और शमॆ का स्थान व्यवसायीकरण और बाजार ने ले लिया है अब लोगो के दिल में इसके लिए कोई जगह नही है ये बीते दिनों की
बनकर रह गई है चचाॆ करेगे तो खूब बहस होगी । इस बहस में मै भी इत्तफाक रखता हू ।