लज्जा और हया शब्द तो म्यूजियम में रखने योग्य हो गए है । लोगो को दिखाया जायेगा ... ये कभी भारत के अनमोल धरोहर होते थे । लोग विश्वास नही करेगे और बहस शुरू हो जायेगी ।
लज्जा और शमॆ का स्थान व्यवसायीकरण और बाजार ने ले लिया है अब लोगो के दिल में इसके लिए कोई जगह नही है ये बीते दिनों की बनकर रह गई है चचाॆ करेगे तो खूब बहस होगी । इस बहस में मै भी इत्तफाक रखता हू ।
कुछ ख़ास नही ....साधारण आदमी ......जो अपने को जानने की कोशीश कर रहा है । कुछ हद तक परेशान है ....नए रास्ते खोज रहा .....उसी क्रम में भारतीय प्रशासनिक सेवा का साक्षात्कार भी दिया । लिखने में मन लगता है ....... कुछ नया करना चाहता है ......जहाँ बाजारवाद न हो । ......जिंदगी अभावों में कट रही है .......इसका भी लुत्फ़ उठाता है ......सोचता है ....दुनिया से दो कदम पीछे रह गया .....पर कोई मलाल नही । लेखन का शायद दशमलव भी नही जानता पर ......हाथ मार रहा ....कोई राह नही दिखा पर .....चलते जा रहा है....
4 comments:
चलिये इसी बात पर आपको मल्लिका शेरावत का एक नायाब फोटो दिखा देते हैं! बतायें इस फोटो में क्या खास बात है? यहाँ चटका लगाकर देखें!
आपके भाव तथा अनिल जी की टिप्पणी दोनो भावपूर्ण हैं।
क्या बात है!!!सचमुच अब ये शब्द संग्रहालय की शोभा ही बढायेंगे.बधाई.
लज्जा और शमॆ का स्थान व्यवसायीकरण और बाजार ने ले लिया है अब लोगो के दिल में इसके लिए कोई जगह नही है ये बीते दिनों की
बनकर रह गई है चचाॆ करेगे तो खूब बहस होगी । इस बहस में मै भी इत्तफाक रखता हू ।
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