अशोक ने अपने राज्याभिषेक के नवें वर्ष में कलिंग पर विजय प्राप्त की ।
उसने खस , नेपाल को जीता तथा तक्षशिला के विद्रोह को शांत किया ।
बिन्दुसार की मृत्यु के बाद वह मौर्य वंश का राजा हुआ ।
कलिंग को जितने के बाद तोशली को कलिंग की राजधानी बनायी गई ।
कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने धम्म विजय की निति को अपनाया ।
यह उसका पहला और आखिरी युद्ध था ।
उतर पश्चिम में शाह्बाज्गाधि और मानसेरा में अशोक के शिलालेख पाये गए है ।
काबुल के लम्गान में भी अशोक के लेख अरामाइक लिपि में मिलते है ।
उतर पश्चिम में अशोक के साम्राज्य की सीमा हिन्दुकुश थी ।
काल्शी , रुमिन्देई और निगाली सागर अभिलेखों से पता चलता है की देहरादून और नेपाल की तराई के क्षेत्र अशोक के राज्य में थे ।
Thursday, April 16, 2009
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6 comments:
...शार्ट एंड स्वीट !!!!!!
अशोक महान से परिचय कराने का आभार।
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जादू की छड़ी चाहिए?
नाज्का रेखाएँ कौन की बला हैं?
सम्राट अशोक के बारे में पढा है ..आपने कुछ नई बातों से अवगत कराया..!ज्ञान का सिलसिला तो चलता ही रहना चाहिए....
आप का ब्लॉग मैं पड़ा (padhaa)
अच्छा लगा
अच्छा लगा कलम का प्रेम
और प्रेम का कलम ........
महोदय , आप से निवेदन है कि अपनी अच्छी से अच्छी रचनाये ये मेरे ब्लॉग मंच पर दे |
इसपर मैं लिखने के लिए आप को amantrit करता हूँ
आशा है कि आप अपने सबद मंच पर देंगे जैसी ब्लोगेर्स आप को अधिक से अधिक पसंद कर सकते है
आप का ईमेल होता तो मैं आप के देखने से पहले ही आप को उसका सदस्य bana देता
आप कि कवितायेँ अच्छी लगी और उनको पड़कर और भी अच्छा
नमस्कार
आपका भाई
अम्बरीष मिश्रा
बहुत ही खुबसूरत लिखा है आपने !
Milind Sable Said
Ashok is realy very great. Best article. Short but sweet.
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